मुख्य चिकित्सा अधिकारी महराजगंज के सहयोग से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घुघली के प्रांगण में मंगलवार को प्रातः 10:00 बजे से शाम 3:00 बजे तक हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर अस्पताल एवं शोध संस्थान, गीता वाटिका, गोरखपुर द्वारा नि:शुल्क कैंसर की प्राथमिक जांच एवं प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।
शिविर में दिखाने एवं परामर्श लेने आए 124 लोग शामिल थे, जिन्हें कैंसर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सी. पी. अवस्थी ने बारी बारी से हर एक का मूल्यांकन, सलाह, कैंसर संबंधित लक्षण की जांच और उचित परामर्श एवं निशुल्क दवाई दी गई।
कैंसर जागरूकता अभियान के तहत इस स्वास्थ्य केंद्र से संबंधित ए. एन. एम., संगिनी एवं आशा कार्यकर्ताओं तथा अस्पताल में आए लोगों को बताया गया कि को कैंसर लक्षण का प्रशिक्षण तथा इलाज के बारे में जानकारी दी गई। इन्हें बताया गया कि कैंसर आम तौर पर शरीर के किसी एक हिस्से में उत्पन्न होकर दूसरी जगह फैल जाता है यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया गया तो कई प्रकार के कैंसर हो जाते हैं।
जिनमें कुछ सामान्य प्रकार के कैंसर जैसे फेफड़े के कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, स्तन कैंसर, त्वचा कैंसर, किडनी कैंसर और रक्त कैंसर शामिल हैं। लाखों लोगों को हर साल इस घातक बीमारी का सामना करना पड़ता है। कुछ लोग इससे मुकाबला करते हैं जबकि कुछ लोग इसके आगे हार मान जाते हैं।अगर सही समय पर कैंसर की पहचान कर समय पर उसका उपचार शुरू कर दिया जाए, तो कैंसर ठीक हो जाता है वर्ना यह लाइलाज हो जाता है।
अगर इसका प्रारंभिक अवस्था में पता लग जाता है तो इसे सर्जरी और दवा की सहायता से ठीक किया जा सकता है और अगर इसका बाद में पता लगता है तो यह आमतौर पर रोगी के लिए घातक साबित हो सकता है। यदि कोई रोगी अभी भी कैंसर के पहले चरण में है तो सर्जरी या रेडियोथेरेपी एक इलाज के रूप में मदद कर सकती है। यह एक स्थानीय उपचार है जो केवल शरीर के एक भाग का इलाज करता है।
यदि कैंसर की कोशिकाएं मूल स्थान से टूट गई हैं और लिम्फ नोड्स में प्रवेश कर गई है जिसका अर्थ है कि रोगी कैंसर के तीसरे चरण में प्रवेश कर गया है तो सहायक उपचार का सुझाव दिया जाता है। इसमें आम तौर पर केमोथेरेपी पोस्ट सर्जरी शामिल है। यह प्राथमिक ट्यूमर से टूटी हुई कैंसर की कोशिकाओं को मारने के लिए किया जाता है।
यदि कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैल गया है तो स्थानीय और सहायक उपचार पर्याप्त नहीं हैं। इसमें पूरे शरीर को शामिल करने वाले उपचार की आवश्यकता होती है। इस तरह के उपचार को प्रणालीगत उपचार के रूप में जाना जाता है। इसमें केमोथेरेपी, हार्मोन थेरेपी और जैविक उपचार शामिल हैं जो रक्तप्रवाह में फैलते हैं।
प्रारंभिक 2 चरणों में कैंसर पाए जाने पर कई प्रकार के कैंसर का इलाज किया जा सकता है। हालांकि इस समस्या से निपटना तब मुश्किल हो जाता है जब यह बढ़ जाती है। इस बीमारी के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और मरीज का समय रहते उपचार करना चाहिए।
सभी लोगो को कैंसर से संबंधित पत्रक, विवरण पुस्तिका, फ्लिपबुक, पोस्टर, लीफलेट/चित्रों के साथ पैम्फलेट आदि वितरित किया गया ताकि वे अपने क्षेत्र में कार्यक्रम आयोजित कर और लोगो को कैंसर के बारे मे जागरुक कर सकें।
शिविर में चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अमित विक्रम सिंह, डॉ. राकेश मोहन शर्मा, डॉ. राकेश श्रीवास्तव, अजय श्रीवास्तव, सत्यवती तिवारी, अंकित पांडेय , नारद मुनि, स्वास्थ्य केन्द्र के डॉक्टर एवं कर्मचारियों आदि का कार्य उल्लेखनीय रहा।